नील विद्रोह कब और क्यों ? Indigo Revolt | नील विद्रोह (1859-1860)



कोहिनूर हीरे का इतिहास  हिंदी में  : Download Free PDF


कारण :

अंग्रेज़ अधिकारी बंगाल तथा बिहार के ज़मींदारों से भूमि लेकर बिना पैसा दिये ही किसानों को नील की खेती में काम करने के लिए विवश करते थे, तथा नील उत्पादक किसानों को एक मामूली सी रक़म अग्रिम देकर उनसे करारनामा लिखा लेते थे, जो बाज़ार भाव से बहुत कम दाम पर हुआ करता था। इस प्रथा को ‘ददनी प्रथा’ कहा जाता था, जबकि किसान अपनी उपजाऊ जमीन पर चावल की खेती करना चाहते थे।

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शुरूआत

इस आन्दोलन की शुरूआत 1859 ई. में बंगाल को नादिया जिले के गोविन्दपुर गांव में दिगम्बर विश्वास व विष्णु विश्वास ने ने नेतृत्व किया गया था।
दीन बंधु मित्र ने अपनी पुस्तक नील दर्पण में इसका उल्लेख किया है।

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