कोहिनूर हीरे का इतिहास हिंदी में : Download Free PDF
जरूर पढ़ लें : प्राचीन भारतीय इतिहास के प्रमुख स्त्रोत
कारण :
अंग्रेज़ अधिकारी बंगाल तथा बिहार के ज़मींदारों से भूमि लेकर बिना पैसा दिये ही किसानों को नील की खेती में काम करने के लिए विवश करते थे, तथा नील उत्पादक किसानों को एक मामूली सी रक़म अग्रिम देकर उनसे करारनामा लिखा लेते थे, जो बाज़ार भाव से बहुत कम दाम पर हुआ करता था। इस प्रथा को ‘ददनी प्रथा’ कहा जाता था, जबकि किसान अपनी उपजाऊ जमीन पर चावल की खेती करना चाहते थे।
Latest Technical or Tech News
Latest Technical or Tech News
शुरूआत
इस आन्दोलन की शुरूआत 1859 ई. में बंगाल को नादिया जिले के गोविन्दपुर गांव में दिगम्बर विश्वास व विष्णु विश्वास ने ने नेतृत्व किया गया था।
दीन बंधु मित्र ने अपनी पुस्तक नील दर्पण में इसका उल्लेख किया है।
Learn Free Blogging Hindi
Whatsapp पर अपने ट्रैन के बारे में पता करे
Learn Free Blogging Hindi
Whatsapp पर अपने ट्रैन के बारे में पता करे
जो Blogging से जुड़े है।
या जुड़ना चाहते है। वो ये Post जरूर पढ़ें।
इसे पढ़ने के बाद अपना अपना Blog फ्री में Create कर सकते हैं।
कोहिनूर हीरे का इतिहास हिंदी में : Download Free PDF